जड़ न केवल वृक्ष को आधार देती है, बल्कि समाज को आदर्श सामाजिक जीवन का संकेत देती है I आज का युग नगरीकरण , एकल परिवार व स्वार्थ से परिपूर्ण है I प्रायः यह कहा जाता है कि आज का मनुष्य ‘ अपनी जड़ों से कट ’ गया है I ग्राम व परिवार तो छोड़िये उसके बगल में कौन है ?,यह भी आज के युग के मानव जाति को नहीं पता रहता है I लोग आत्मकेंद्रित हो रहे हैं I किन्तु व्यक्ति एक वृक्ष की तरह है तथा सामाजिक सम्बन्ध उसकी जड़ें हैं जो उसकी उन्नति व संतुष्टि का आधार हैं I जिस प्रकार जड़ से कटा वृक्ष निर्जीव हो जाता है I वह फर्नीचर बनकर घर की शोभा तो बढ़ा सकता है किन्तु प्राणदायी ऑक्सीजन नहीं प्रदान कर सकता I उसी प्रकार अपनी जड़ों व समाज से कटा व्यक्ति समाज की उन्नति में कोई योगदान नहीं दे जाता I चूँकि व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी है , अतः जीवन के हर संघर्ष में समाज के सहयोग की आवश्यकता पड़ती है I उस समय समाज भी जड़ों से कटे निर्जीव व्यक्ति का साथ नहीं देता व व्यक्ति अंतर्संघर्ष व आत्मनिर्वासन की स्थिति में चला जाता है I
शिखा राय (एम.ए. (हिंदी ) बी. एड.)
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